ब्रहाज्ञान के द्वारा ही सहज अवस्था प्राप्त की जा सकती है: निंरकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज
- By Vinod --
- Sunday, 18 Feb, 2024
Sahaj state can be achieved only through Brahmagyan
Sahaj state can be achieved only through Brahmagyan- ब्रहाज्ञान के द्वारा ही जीवन में सहज अवस्था प्राप्त की जा सकती है तथा स्थिर निरंकार प्रमात्मा से जुड़कर जीवन सुकून व आन्नद वाला होता है। यह उद्गार निरंकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने स्थानीय नई अनाज मंडी में आज आयोजित निंरकारी सन्त समागम के दौरान कहे। निंरकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज व निरंकारी राजपिता रमित जी का आर्शीवाद प्राप्त करने हरियाणा सहित हिमाचल, चंडीगढ़ व पंजाब के श्रद्वालु पहुंचे।
सत्गुरू माता जी ने कहा कि जिस प्रकार सूर्य अपनी रोशनी देते हुए किसी व्यक्ति विशेष को देखकर अपनी रोशनी नहीं देता तथा प्राकृति भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करती। इसी प्रकार हम इंसानों को भी जात-पात, ईष्र्या, द्वेष से उपर उठकर सबसे प्रेम भाव व एकत्व से रहना का आहवान् दिया।
उन्होंने एक उदाहरण के माध्यम से समझाया कि एक पैन अगर विद्यार्थी के हाथ में है तो वो परीक्षा के काम आता है, अगर परिवार में है तो कई कार्य करने के काम आता है। इसी प्रकार लेखक व कहानीकार के लिए पैन कल्पनाओं के आधार पर लेखन के कार्य में काम आता है। पैन किसी प्रकार का भेदभाव या फर्क नहीं करता। इसी प्रकार मुनष्य को भी मनुष्यता को नहीं छोड़ना चाहिए, पूर्णयता मानवीय गुणों को अपनाना ही जीवन का उद्देश्य होना चाहिए।
सत्गुरू माता जी ने कहा कि प्रत्येक परिस्थिति में एक सा रहना केवल तभी संभव है जब हम स्थिर प्रभु प्रमात्मा के साथ नाता जोड़ लेते है। स्थिर से जुड़कर जीवन सुकून व आन्नद वाला होता है। सत्गुरू माता जी ने आग का उदाहरण देते हुए कहा कि जिस प्रकार आग का काम जलाना है। परंतु आग जलाकर अगर तवा रख दिया जाए तो उस पर चपाती बनायी जाती है। आग ने अपने आप को नए स्वरूप द्वारा फायदा देने वाला बना दिया। इसी प्रकार संतो द्वारा क्रोध को क्रिर्यान्वित करने की बात कही है। ब्रहाज्ञान के द्वारा अपने क्रोध व अहंकार पर नियंत्रण करके व्यक्ति अपने भावों को दया, करूणा से युक्त कर सकता है व मनमति को छोड़कर संतमति को अपनाता है। किसी को नुकसान देने का भाव न रखकर दूसरों को सहयोग देने की भावना वाला जीवन बन जाता है। निरंकार का आधार लेकर सद्पयोगी जीवन बन जाता है।
इससे पूर्व निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने आशीष वचनों में बाबा हरदेव सिंह जी के कथन ’’ धर्म जोड़ता है, तोड़ता नहीं’’ पर कहा कि धर्म ने सदैव जोड़ने का काम किया है। केवल स्वयं की मान्यताएं, अंधकार व भ्रांतियां ही धर्म को तोड़ने का कारण बनती है।
उन्होंने कहा कि ब्रहाज्ञान के बाद जब एकत्व का एहसास होता है तो फिर नफरत, वैर विरोध की दीवारें पैदा ही नहीं होती। उन्होंने कहा कि विशालता का गुण भक्ति के द्वारा ही प्रखर होता है। फिर छोटी-छोटी बातों से मन विचलित नहीं होता।
नारायणगढ़ का जिक्र करते हुए कहा कि जिस मानव के जीवन में ब्रहाज्ञान व प्रेम आ जाता है तो वो स्वयं ही नारायण के घर का बनता चला जाता है। समागम में शाहबाद जोन के जोनल इंचार्ज श्री सुरेन्द्र पाल व स्थानीय मुखी उर्मिला वर्मा ने निंरकारी सत्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज व निरंकारी राजपिता रमित जी समस्त साधसंगत तथा गणमान्य व्यक्तियों का नारायणगढ़ पहुंचने पर अभिवादन व अभिनन्दन किया। उन्होंने प्रशासन, पुलिस प्रशासन, नगर पालिका, मंडी एसोसिएशन व सभी विभागों द्वारा दिए गए सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया।